An Untold Story Of August Kranti:स्याद्वाद का स्वतंत्रता संग्राम
प्रो अनेकांत कुमार जैन
Prof Anekant Kumar Jain
१९४२ में काशी के भदैनी क्षेत्र में गंगा के मनमोहक तट जैन घाट पर स्थित स्याद्वाद महाविद्यालय और उसका छात्रावास आजादी की लड़ाई में अगस्त क्रांति का गढ़ बन चुका था | जब काशी विद्यापीठ पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रावास जबरन खाली करवा दिया गया और आन्दोलन नेतृत्त्व विहीन हो गया तब आन्दोलन की बुझती हुई लौ को जलाने का काम इसी स्याद्वाद महाविद्यालय के जैन छात्रावास ने किया था |
(स्याद्वाद महाविद्यालय उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी के भदैनी क्षेत्र में गंगा जी के सुरम्य तट जैन घाट पर स्थित संस्कृत एवं जैन दर्शन को समर्पित एक महाविद्यालय है। इसकी स्थापना क्षुल्ल्क गणेशप्रसाद वर्णी जी द्वारा 1905 में की गयी थी। पन्नालाल
जैन, कैलाशचंद्र शास्त्री जैसे प्रमुख जैन विद्वानों ने यहीं से अध्ययन किया और शिक्षण का कार्य किया। )
उन दिनों यहाँ के जैन विद्यार्थियों ने पूरे बनारस के संस्कृत छोटी बड़ी पाठशालाओं ,विद्यालयों और महाविद्यालयों में जा जा कर उन्हें जगाने का कार्य किया ,हड़ताल के लिए उकसाया ,पर्चे बांटे और जुलूस निकाले |यहाँ के एक विद्यार्थी दयाचंद जैन वापस नहीं लौटे , पुलिस उन्हें खोज रही थी अतः खबर उड़ा दी गई कि उन्हें गोली मार दी गई है,बी एच यू में उनके लिए शोक प्रस्ताव भी पास हो गया | उन्हें जीवित अवस्था में ही अमर शहीद होने का सौभाग्य मिला था,क्यों कि वे भूमिगत होकर जीवित थे | Independence Day
स्याद्वाद महाविद्यालय और शिवपुर में रणभेरी क्रान्तिकारी नामक बुलेटिन की प्रतियाँ छपती थीं |जब प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा
दिया गया तो मुल्तानी मिट्टी को गला कर उस पर बैगनी स्याही से मैटर का अक्श निकाल कर रोज २५० प्रतियाँ निकाली जाती थीं |क्रान्तिकारी दल रात 10
बजे के बाद इसकी प्रतियाँ बांटता था जिसमें क्रांति की समूची योजना और क्रन्तिकारी भाषण और कवितायेँ छपी होती थीं |
An untold story of August Kranti
एक दिन काशी के सी आई डी को सूचना मिली कि महाविद्यालय में खतरनाक हथियार छुपाये गए हैं तथा कई क्रन्तिकारी छुपे हुए हैं तब यहाँ की तलाशी ली गई ,किन्तु कुछ नहीं मिला ,उन्हें खबर हुई कि हथियार गंगा में फेंक दिए गए हैं ,गंगा में हथियार खोजे गए ,किन्तु वहाँ भी कुछ नहीं मिला |समीप स्थित छेदी लाल मंदिर के एक कमरे से एक भरी हुई पिस्तौल और तोड़फोड़ का सामन मिला और छात्र क्रांतिकारी गुलाबचंद जैन,अमृतलाल जैन,और घनश्याम दास जैन गिरफ्तार कर लिए गए |उन्हें अठारह दिन जेल में रखा गया फिर जमानत हुई | महाविद्यालय के अधिष्ठाता बाबू हरिश्चंद्र जैन जी के ऊपर उन छात्रों को निष्काषित करने और महाविद्यालय को बंद करने का दबाव बढ़ गया |
महाविद्यालय के अनेक छात्र जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी,अंग्रेजों की या
तनाएं सहीं ,जेल गए और बाद में जैन धर्म दर्शन के प्रख्यात विद्वान बने ,अनेक शास्त्र लिखे ,अनुवाद और शोधकार्य किये ,उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का सौभाग्य प्राप्त है |
धर्म की रक्षा के लिए एक हाथ में शास्त्र और राष्ट्र की रक्षा के लिए दूसरे हाथ में शस्त्र उठाने
वाले क्रान्तिकारी ,जेल यात्रा करने वाले स्वतंत्रता संग्रामी जिन जैन विद्यार्थी विद्वानों के नाम मिल सके हैं उनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं –
-
पंडित अमृतलाल शास्त्री
-
डॉ हरीन्द्रभूषण जैन
-
डॉ.बालचंद जैन
-
चौधरी सगुनचंद जैन
-
श्री धन्यकुमार जैन
-
पंडित खुशालचंद जी गोरावाला
-
पंडित राजकुमार शास्त्री
-
पंडित लोकमणि जैन
-
श्री शीतलप्रसाद जैन
-
श्री गुलाबचंद जैन
-
श्री घनश्याम दास जैन
-
पंडित कैलाश चंद शास्त्री
-
पंडित फूलचंद सिद्धान्तशास्त्री
-
डॉ गुलाब चंद चौधरी
-
डॉ.राजाराम जैन
-
श्री दयाचंद जैन
-
श्री नाभिनंदन जैन
-
श्री भागचंद जैन
-
डॉ पूरनचंद जैन
-
श्री बाबूलाल फागुल्ल
-
श्री रतन पहाड़ी आदि
इन सभी की अपनी अपनी दास्ताँ है और इस बात से यह सुनिश्चित होता है कि आजादी के आन्दोलन में तत्कालीन जैन दर्शन ,प्राकृत ,संस्कृत के विद्यार्थियों ने अपने राष्ट्र के लिए कितना बड़ा योगदान दिया था |राष्ट्रपिता महात्मागांधी भी इस महाविद्यालय में पधारे थे तब उन्होंने यहाँ अपने कर कमलों से यह वाक्य लिखा था –
‘इस संस्था की मुलाकात लेने से मैं बहोत खुश हुआ हूँ ,मेरी उम्मेद है की इस संस्था के विद्यार्थी ऐसे कर्मनिष्ठ होंगे की जिससे समस्त हिन्द को फायदा हो’
………………………………………………………………………………………………………
प्रमुख स्रोत :
1.स्याद्वाद महाविद्यालय शताब्दी वर्ष स्मारिका,२००५ के विभिन्न लेख ,संपादक-प्रो.फूल चंद जैन प्रेमी
2.स्वतंत्रता संग्राम में जैन – डॉ.कपूरचंद जैन एवं डॉ.ज्योति जैन ,खतौली
3.Prof Phoolcahand Jain Premi ,Varanasi (Alumni of Syadvada mahavidyalya)
आचार्य – जैनदर्शन विभाग,
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
Leave a Comment