Hukumchand Bharill

The meaning of being Dr.Hukumchand Bharill . डॉ०हुकुमचंद भारिल्ल होने के मायने

The meaning of being Dr.Hukumchand Bharill जैन जगत् में डॉ०हुकुमचंद भारिल्ल होने के मायने प्रो.डॉ० अनेकान्त कुमार जैन लगभग पिछले सात दशकों से भी अधिक समय से अपने सिद्धान्तों के साथ स्पष्टवादिता और संतुलित भाषा शैली में मूल जैन तत्त्वज्ञान को आबाल गोपाल तक के दिलोदिमाग में जमाने का नियमित रूप से कार्य कर रहे…

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KARMA

The principle of karma in Jain philosophy.जैन दर्शन का कर्म सिद्धांत  

डॉ.हुकुमचंद भारिल्ल निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त निबंध The principle of karma in Jain philosophy.जैन दर्शन का कर्म सिद्धांत       Prof Anekant Kumar Jain अनेकांत कुमार जैन karma : जैन धर्म ने मनुष्य के सुख तथा दुःख के कारणों की खोज की और पाया कि मनुष्य अपने सुख और दुःख का कारण…

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 CELIBACY

CELIBACY OF HOUSEHOLDERS : CHALANGES  AND SOLUTIONS

 CELIBACY OF HOUSEHOLDERS : CHALANGES   AND SOLUTIONS                             गृहस्थ ब्रह्मचर्य CELIBACY : वर्तमान चुनौतियाँ और समाधान          (ब्रह्मचर्य अणुव्रत अतिचार के सन्दर्भ में )                                   …

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Tirthankara Mahavir

Tirthankara Mahavir : The youth Icon युवाओं के प्रेरणास्रोत तीर्थंकर महावीर Tirthankara Mahavir

युवाओं के प्रेरणास्रोत तीर्थंकर महावीर Tirthankara Mahavir प्रो.अनेकांत कुमार जैन  Prof.Dr Anekant Kumar Jain Shri Lalbahadur Shastri National Sanskrit University, New Delhi ईसा से लगभग छह सौ वर्ष पूर्व भारत की धरती पर भगवान महावीर Tirthankara Mahavir का जन्म साधना के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी युग की शुरुआत थी। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन वैशाली…

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Tirthankara Mahavir

Tirthankara Mahavir : The influence of Lord Mahavir, the Jain Tirthankara, on India. तीर्थंकर महावीर का भारत पर प्रभाव

Tirthankara Mahavir : The influence of Lord Mahavir, the Jain Tirthankara, on India. तीर्थंकर महावीर का भारत पर प्रभाव प्रो.अनेकान्त कुमार जैन , आचार्य- जैनदर्शन विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली https://youtube.com/@anekantkumarjain भगवान महावीर Tirthankara Mahavir ने ईसा की छठी शताब्दी पूर्व से ही प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की परम्परा को अक्षुण्ण…

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Tirthankar Rishabhdev

The primordial deity of Indian culture: Tirthankar Rishabhdev.भारतीय संस्कृति के आदिदेव : तीर्थंकर ऋषभदेव

The primordial deity of Indian culture: Tirthankar Rishabhdev. भारतीय संस्कृति के आदिदेव : तीर्थंकर ऋषभदेव Tirthankar Rishabhdev प्रो. अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली                    मनुष्य के अस्तित्व के लिए रोटी, कपडा, मकान जैसे पदार्थ आवश्यक हैं, किंतु उसकी आंतरिक सम्पन्नता केवल इतने से ही नहीं हो जाती। उसमें अहिंसा, सत्य, संयम, समता, साधना और तप के…

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jain ghat

five vows : In religious places, it is mandatory to observe atomic five vows.धार्मिक स्थानों में अनिवार्य है पांच अणुव्रतों का पालन

five vows : In religious places, it is mandatory to observe atomic five vows धार्मिक स्थानों में अनिवार्य है अणुव्रतों का पालन   प्रो.डॉ.अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली Prof Anekant Kumar Jain अन्यक्षेत्रे कृतं पापं पुण्यक्षेत्रे विनश्यति ।     पुण्यक्षेत्रे कृतं पापं  वज्रलेपो भविष्यति || अन्य क्षेत्र में किया हुआ पाप पुण्य क्षेत्र में…

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