Kshmavani parva : आत्मा के सॉफ्टवेयर में क्षमा एंटीवायरस इंस्टाल कर के रखिये

विश्व क्षमा पर्व पर विशेष – Kshmavani parva:आत्मा के सॉफ्टवेयर में क्षमा एंटीवायरस इंस्टाल कर के रखिये      प्रो डॉ अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली भाद्र शुक्ला अनंत चतुर्दशी के बाद आश्विन कृष्णा एकम् को क्षमावाणी पर्व विश्व मैत्री दिवस के रूप में इसीलिए मनाया जाता है कि हम सबसे पहले अपने प्रति अन्य …

Read more

Veetraag vigyan and Arham Yoga : ‘वीतराग विज्ञान’ और ‘अर्हं योग’ दोनों  आगम सम्मत वाक्य हैं

Solahkaran bhavna

Veetraag vigyan and Arham Yoga ‘वीतराग विज्ञान’ और ‘अर्हं योग’ दोनों  आगम सम्मत वाक्य हैं प्रो अनेकान्त कुमार जैन अल्पश्रुतं श्रुतवतां परिहास-धाम, त्वद्भक्ति-रेव-मुखरी-कुरुते बलान्माम् । जिनेन्द्र सिद्धांत कोष में आगम को लेकर जिनेन्द्र वर्णी जी ने एक भूमिका लिखी है जो मेरे इस लघु लेख का अभिप्राय  प्रगट करने के लिए पर्याप्त है – ‘जैनागम …

Read more

Solahkaran bhavna : सोलहकारण भावना : दर्शनविशुद्धि की अनिवार्यता  

Solahkaran bhavna

Solahkaran bhavna : सोलहकारण भावना : दर्शनविशुद्धि की अनिवार्यता प्रो.डॉ. अनेकान्त कुमार जैन भूमिका सम्यग्दर्शन मोक्षमार्ग की साधना का पहला सोपान है । तीर्थंकरप्रकृति  की कारणभूत Solahkaran bhavna षोडश भावनाओं में सर्वप्रधान भावना दर्शनविशुद्धि है। क्योंकि दर्शनविशुद्धि ही आत्मस्वरूप संवेदन के प्रति एक मात्र कारण है। सम्यग्दर्शन का अत्यंत निर्मल व दृढ हो जाना ही …

Read more

Jain Acharya : मुनि संघ के आचार्य कैसे होते हैं ?

jain muni

Jain Acharya : मुनि संघ के आचार्य कैसे होते हैं ? प्रो.अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली जैन परम्परा में श्रमण संघ के आचार्य के सम्बन्ध में प्रायः लोगों को आरंभिक परिभाषा का ही पता है कि–‘ जो मुनि संघ के नायक होते हैं वे आचार्य परमेष्ठी कहलाते हैं’,यहाँ जानकारी के लिए जैन आगमों में …

Read more

Acharya Shantisagar : आचार्य शान्तिसागर जी महाराज के आध्यात्मिक उपदेशों का वैशिष्ट्य

Acharya Shantisagar : आचार्य शान्तिसागर जी महाराज के आध्यात्मिक उपदेशों का वैशिष्ट्य प्रो.अनेकांत कुमार जैन आचार्य – जैनदर्शन विभाग श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , नई दिल्ली दिगंबर जैनधर्म के इतिहास में अनेक तेजस्वी आचार्य एवं तपस्वियों ने आत्मकल्याण ,धर्म की प्रभावना,प्रचार एवं जीव मात्र के कल्याण हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया …

Read more

Real Yoga सहजता ही वास्तविक योग है

विश्व योग दिवस पर विशेष ….                            सहजता ही वास्तविक योग है : Real yoga Prof Anekant Kumar Jain  जैन परंपरा में त्रिगुप्ति का सिद्धांत योग विद्या का प्राण है । मन गुप्ति ,वचन गुप्ति और काय गुप्ति अर्थात् मन वाणी और काया …

Read more

IGNORAYNAMAH : जगत की निंदा प्रशंसा से कुछ नहीं होता : ॐ इग्नोराय नमः

Prof Anekant Kumar Jain

IGNORAYNAMAH : जगत की निंदा प्रशंसा से कुछ नहीं होता प्रो.अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली  हममें से अधिकांश लोग लोक की सारहीन निंदा या प्रशंसा के चक्कर में आकर अपना बहुमूल्य मन,जीवन और समय व्यर्थ गवां दिया करते हैं । संसार ओछे लोगों का साम्राज्य है । यहाँ चप्पे चप्पे पर ऐसे लोग मिल जाते …

Read more

YOGA : बच्चे योगी होते हैं और बड़े प्रतियोगी

YOGA : बच्चे योगी होते हैं और बड़े प्रतियोगी(जो पीछे छूट गए हैं उन्हें साथ जोड़ना योग है) प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली   YOGA   YOGA : योग शब्द का मूल अर्थ है जोड़ना । जहाँ बुद्धि पूर्वक जोड़ा जाय वह योग है और जो स्वयं ही जुड़ जाए वह संयोग है । …

Read more

CHATURMAS चातुर्मास के चार आयाम

चातुर्मास के चार आयाम CHATURMAS प्रो.अनेकांत कुमार जैन CHATURMAS चातुर्मास वह है जब चार महीने चार आराधना का महान अवसर हमें प्रकृति स्वयं प्रदान करती है ।अतः इस बहुमूल्य समय को मात्र प्रचार में खोना समझदारी नहीं है । चातुर्मास CHATURMAS के चार मुख्य आयाम हैं – सम्यक् दर्शन ,ज्ञान ,चारित्र और तप । इन …

Read more

SANT NIWAS ‘संत निवास’ – नामकरण से पूर्व जरा सोचें !

sant niwas

SANT NIWAS ‘संत निवास’ – नामकरण से पूर्व जरा सोचें ! प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली  अक्सर कई तीर्थों आदि धार्मिक स्थानों पर जाने का अवसर प्राप्त होता है । विगत वर्षों में एक नई परंपरा विकसित हुई दिखलाई देती है और वह है – SANT NIWAS संत निवास,संत निलय ,संत भवन , संत …

Read more

Top Rated Posts

Recommended Posts

Kshmavani parva : आत्मा के सॉफ्टवेयर में क्षमा एंटीवायरस इंस्टाल कर के रखिये

Solahkaran bhavna

Veetraag vigyan and Arham Yoga : ‘वीतराग विज्ञान’ और ‘अर्हं योग’ दोनों  आगम सम्मत वाक्य हैं

Solahkaran bhavna

Solahkaran bhavna : सोलहकारण भावना : दर्शनविशुद्धि की अनिवार्यता  

jain muni

Jain Acharya : मुनि संघ के आचार्य कैसे होते हैं ?

error: Content is protected!